क्या बिहार की बाढ़ में डूब जाएगा BJP-JDU गठबंधन?
बिहार में बाढ़ और जलजमाव पर हो रही सियासत के बीच बीजेपी-जेडीयू के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है. (पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार की फाइल फोटो)




 




सवाल ये है कि क्या विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी-जेडीयू के बीच लगातार चल रही तनातनी परिणति पर पहुंचेगी?


 


पटना. ऐतिहासिक गांधी मैदान (Gandhi Maidan) में वर्षों से 'रावण वध' (Ravan Vadh) किया जा रहा है, लेकिन इस बार यहां भीड़ अपेक्षाकृत कम रही. इस दौरान एक विशेष बात सत्ताधारी गठबंधन में शामिल बीेजेपी नेताओं (BJP Leaders) की शत-प्रतिशत अनुपस्थिति रही. दरअसल यह पहला मौका है जब राज्य सरकार (State Government) में शामिल रहने के बावजूद बीजेपी का कोई नेता कार्यक्रम के मंच पर नहीं दिखा. जाहिर है सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के साथ बीजेपी नेताओं के मंच पर मौजूद नहीं रहने के कारण बिहार एनडीए (Bihar NDA) में दरार पड़ने की अटकलें फिर से लगाई जाने लगी हैं.

सीएम के बगल में बैठे कांग्रेस अध्यक्ष
गौरतलब है कि कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बिहार विधानसभा के स्पीकर विजय कुमार चौधरी और प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष मदन मोहन झा शामिल हुए, लेकिन सीएम नीतीश के बेहद करीबी माने जाने वाले उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की कुर्सी भी खाली रही. सबसे खास ये रहा कि मंच पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बगल में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बैठे जबकि, सामान्‍यत: उनके बगल में उपमुख्‍मंत्री सुशील मोदी बैठते रहे हैं.


पटना के गांधी मैदान में रावण वध कार्यक्रम के दौरान मंच पर CM नीतीश के बगल में कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष मदन मोहन झा बैठे, लेकिन बीजेपी के किसी नेता ने शिरकत नहीं की.

रावण वध से पहले शुरू हो चुकी है 'कलह-कथा'

दरअसल इस मुद्दे को इससे भी जोड़कर देखा जा रहा है कि बीते दिनों जेडीयू के मंत्री श्याम रजक ने जिस तरह से सुशील मोदी को टारगेट किया और पार्टी की तरफ से चुप्पी रही, ये बीजेपी नेताओं को नागवार गुजरा. वहीं, बाढ़ और जलभराव के मुद्दे पर बीजेपी के नेता जिस तरह से नीतीश कुमार की नाकामी गिना रहे हैं, इससे एक बार फिर एनडीए के भीतर कलह की शुरुआत होती लग रही है.

पटना में जलभराव के मुद्दे पर बढ़ी दूरी

दरअसल में जलभराव के मुद्दे पर दोनों दल आमने-सामने दिख रहे हैं. मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार इसे प्राकृतिक आपदा बताते रहे हैं तो केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इसके लिए सीधे तौर पर सीएम नीतीश को जिम्‍मेदार माना है. यही नहीं पूरे एनडीए की तरफ से जनता से माफी मांग उन्‍होंने जेडीयू की जिम्‍मेदारी भी तय करने की कोशिश की. वहीं नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा ने आरोप लगाया था कि अधिकारी उनकी बात ही नहीं सुनते थे.



गिरिराज सिंह ने बाढ़ के बहाने सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोला तो जेडीयू ने बीजेपी से कार्रवाई की मांग की. (फाइल फोटो)


कई मुद्दों पर बीजेपी के साथ असहज रही है जेडीयू

गौरतलब है कि कई बार ऐसा देखा गया है कि बीजेपी-जेडीयू के बीच सब कुछ सही नहीं चल रहा है. बीते दिनों कई ऐसे मुद्दे रहे जिस पर बीजेपी-जेडीयू आमने सामने रही. जिस तरह से जेडीयू ने तीन तलाक प्रकरण में संसद में एनडीए सरकार के बिल का विरोध किया था. NRC, 35A और धारा 370 के मुद्दे पर बीजेपी को समर्थन नहीं देना भी दोनों के बीच दूरी का बड़ा सबब माना जा रहा है.

RSS 'जासूसी' मामले ने बढ़ा दी और तल्खी!
पीएम मोदी के शपथ ग्रहण के वक्त ही बिहार में आरएसएस सहित 19 हिंदूवादी संगठनों और उनके सदस्यों से संबंधित सूचनाएं एकत्रित करने के लिए 28 मई को जारी बिहार विशेष शाखा की चिट्ठी पर सियासी घमासान मचा. राजनीतिक गलियारों में चर्चा रही कि यह सीएम नीतीश के आदेश से जारी किया गया था, क्योंकि गृह विभाग उनके जिम्मे है. बताया जा रहा है कि नीतीश सरकार की सफाई देने के बावजूद आरएसएस और बीजेपी दोनों ही इस प्रकरण को लेकर बेहद नाराज थे.

 



बिहार बीजेपी-जेडीयू के बीच कई मुद्दों को लेकर तनातनी की खबरें आती रही हैं. (पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार की फाइल फोटो)

 

मंगल पांडे से इस्तीफा मांगने का प्रकरण
बीते जून-जुलाई में चमकी बुखार से 180 से अधिक मौतों के लिए जेडीयू-बीजेपी में भी एक दूसरे पर भौहें सिकोड़ी गईं. चर्चा तो यह भी थी की सीएम नीतीश कुमार ने इस मामले में हुई फजीहत के कारण बीजेपी नेता और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से इस्तीफा भी मांगा था. हालांकि इस बात पर दोनों ही दलों ने पर्दा डाल दिया था.

प्रशांत किशोर को नीतीश की परमिशन
जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को नीतीश कुमार ने बीजेपी की विरोधी मानी जाने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के लिए काम करने की इजाजत दे दी थी. बताया जा रहा है कि इससे भी भाजपा नेतृत्व बेहद नाराज है. दरअसल बीजेपी बंगाल में पूरा जोर लगा रही है ऐसे में पीके की रणनीति से उसे परेशानी हो सकती है.