देश को 15-20 साल पीछे ले गई मोदी सरकार  - डॉ. संदीप कटारिया

क्राइम रिफॉर्मर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संदीप कटारिया ने बताया कि कोई भी सूचकांक उठा कर देख लें, कहीं बीस साल में सबसे कम विकास दर है तो कहीं पंद्रह साल में सबसे कम तो कहीं दस साल में सबसे कम और ये रिजल्ट है। 2014-2020 यानि साढे़ पांच साल मजबूत और एकछत्र सरकार चलाने के बाद ये आंकड़े प्राप्त हुए है।
2016 में प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का बोगस और आपराधिक फैसला लिया था। तभी पता चल गया कि उन्होंने देश की गाड़ी गड्ढे में गिरा दी है मगर झांसा दिया गया कि दूरगामी परिणाम आएंगे तब नशा था मजबूत नेता के कड़े फैसले का सारे कड़े फैसले कचकड़ा हो कर दरक रहे हैं 2016 के मूर्खतापूर्ण बोगस फैसले का दूरगामी परिणाम आने लगे हैं। 
2020 में भारत की सकल घरेलू विकास विकास दर दस साल में सबसे कम होगी। पिछले वित्त  वर्ष  में 1.8 प्रतिशत थी जो इस वित्त  वर्ष में 5 प्रतिशत रहेगी। करीब 2 प्रतिशत जीडीपी डाउन है। अगर आप बेरोजगार हैं, सैलरी नहीं बढ़ रही है, बिजनेस नहीं चल रहा है तो आपको ज्यादा बताने की जरूरत नहीं हैं।
डॉ. कटारिया ने बताया कि मेक इन इंडिया बोगस नारा निकला जिसमें मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का प्रदर्षन 15 साल में सबसे नीचे हैं। 2006 के बाद मैन्यूफैक्चरिंग का ग्रोथ रेट इस साल 2 प्रतिशत है इसके कारण मौजूदा इंडस्ट्रीज ग्रोथ रेट बीस साल में सबसे धीमा है।
निवेष में वृद्धि दर का अनुमान 1 फीसदी से भी कम है यह भी 15 साल में सबसे कम है। अगर आप सकल निवेष के हिसाब से देखें तो 20 साल में सबसे कम है। भारत की अर्थव्यवस्था में निवेष का हिस्सा एक तिहाई से घट कर एक चैथाई हो गया है। 20 साल में यह सबसे तेज गिरावट है और अगर निवेष को नोमिनल टर्म के हिसाब से देखें यानि जीडीपी में ळथ्ब्थ् का कितना हिस्सा है तो यह 2005 के बाद सबसे बदतर है।
90 के दषक के विŸाीय संकट के दौर में भी निवेष और औद्योगिक गतिविधियों में इतनी गिरावट नहीं हुई थी। जब भारत की अर्थव्यवस्था को दुनिया की पांच नाजुक इकोनमी में गिना जाता था। इस तरह के बदतर रिकार्ड को लेकर क्या आप अगले विŸा वर्श 2021 में बेहतरी की उम्मीद कर सकते हैं? नोटबंदी वाला दूरगामी परिणाम क्या अगले साल आएगा?
अब आप सोचिए अर्थव्यवस्था में जीरो लाकर मोदी सरकार डिबेट में टॉपर बन कर घूम रही है। वो कैसे? मोदी मीडिया के जरिए आपकी आँखों में धूल झोंक कर जैसे पाँच करोड़ पाठकों तक पहुंचने वाले हिन्दुस्तान अखबार के गाजियाबाद संस्करण के पहले पहले पन्ने पर यह खबर ही नहीं है पटना के दैनिक जागरण के पहले पन्ने पर नहीं है। इन बदतर नाकामियों पर नजर न जाए इसलिए ऐसे मुद्दे खड़े किए जाते है जिन्हें मैं थीम एंड थ्योरी की सरकार कहता हूँ। फर्जी इतिहास जबर्दस्ती के एंगल, धमकी, पुलिस की बर्बरता और आई टी सेल का कुप्रचार आपको राश्ट्रवाद के नाम पर झूठ के गोदाम में बांध कर रख दिया गया हैं आप निकल ही नहीं पाएँगे। मजबूत नेता और दो-दो घंटे तक भाशण देने वाले नेता की तारीफ में डूबा देष भूल गया कि प्रधानमंत्री के पास इतना समय कहाँ से आता है? दुनिया भर के रिसर्च हैं कि मजबूत नेता का रिजल्ट खास नहीं रहा हंगामा जरूर खास रहा।