नए सुधारों से रफ्तार पकड़ेगी अर्थव्यवस्था - डा. संदीप कटारिया

 








क्राइम रिफॉर्मर एसोसिएशन के राष्ट्रीय  अध्यक्ष डा. संदीप कटारिया ने बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में कथित सुस्ती सरकार की गलत नीतियों के चलते नहीं है, बल्कि यह वैष्विक कारणों के चलते हैं। मुक्त व उदार अर्थव्यवस्था के प्रति अमेरिका की संरक्षणवादी नीति और यूएस-चीन के बीच जारी ड्रेड वार के चलते विष्व की अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी है। इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर विश्व के अन्य देषों के मुकाबले बेहतर है। वैष्विक अर्थव्यवस्था जहां  3.2 फीसदी की दर से रेंग रही है, वही अमेरिका, जापान, जर्मनी, चीन, यूके, फ्रांस, कनाड़ा, इटली जैस मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देशों की जीडीपी ग्रोथ दर भी 2 से 6 फीसदी के बीच है, जो भारत की सालाना जीडीपी दर करीब 7.1  फीसदी से बहुत नीचे है। यह समझना होगा कि 2014से भारतीय अर्थव्यवस्था सफाई के दौर से गुजर रही है। पूर्ववर्ती संप्र्रग सरकार की नीतियों की खामियों और भ्रष्ठाचार की बेल को सरकारी शह मिलने की वजह से एक दशक तक अर्थव्यवस्था की बुनियाद जर्जर होती रही हैं। शोल कंपनियों, पोंजी कंपनियों, टैक्स की लूट, सरकारी मिली भगत से असुरक्षित कॉरपोरेट लोन के जंजाल ने भारतीय अर्थव्यवस्था को खोखला बना दिया। उस वक्त भारत का ग्रोथ बुलबुला जैसा दिख रहा था। 2008 के वैष्विक मंदी के बाद यूपीए सरकार की ओर से अर्थषास्त्री प्रधानमंत्री होने के बावजूद आवष्यक कदम नहीं उठाए जाने से देश की अर्थव्यवस्था कराहती रही। उस वक्त कर सुधार करने, बैंकिंग तंत्र को मजबूत करने, गलत कॉरपोरेट लोन को रोकने, लोन के एनपीए बनने पर अंकुश लगाने, बेनामी संसंपत्तियों के खिलाफ एक्शन लेने, शील व पोंजी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई जैसे सख्त कदम उठाने चाहिए थे, लेकिन यूपीए सरकार सब कुछ देखती रही और उस सरकार के मंत्री घोटाले-दर-घोटाले करते रहे। डा. मनमोहन सरकार की नीतिगत लापरवहियों की वजह से देष की वृद्धि दर आठ फीसदी से पांच फीसदी पर आ गई। 2014 में सरकार परिवर्तन के बाद से अर्थव्यवस्था की सफाई शुरू हुई, नोटबंदी जैसे अप्रिय कदम उठाए गए। बेनामी संपत्ति कानून बना, 2.5 लाख से ज्यादा शेल कंपनियों की पहचान कर उन्हें बंद कराई गई। पोंजी कंपनियों पर लगाम लगाई गई। लोन डिफाल्टरों पर कानूनी षिकंजा कसा गया। करीब पौने 11 लाख करोड़ रूपये तक पहुंच चुके एनपीए की वसूली तेज की गई। वोट बैंक के चलते मुफ्त बांटने पर अंकुष लगाया गया, सब्सिडी की लूट बंद की गई, अधिक से अधिक लोगों को बैंकिंग तंत्र में लाया गया। एक हजार से ज्यादा बेकार कानूनों का खात्मा किया गया। जीएसटी लागू कर अप्रत्यक्ष कर सुधार किया गया। एफडीआई नियमों को आसान बनाया गया। बैंकों के विलय से बैंकिग तंत्र में सुधार किया गया, स्टीमुलस पैकेज देकर बैंकों की तरलता मजबूत की गई। श्रम कानूनों में सुधार किया गया। मोदी सरकार लगातार महंगाई पर नियंत्रण रखने में कामयाब रही, राजकोशीय घाटा, वित्तीय घाटा व राजस्व घाटा पर लगाम रखने मे सफल रहीं इन सब सुधारों का नतीजा रहा कि जीएसटी संग्रह बढ़ा, कारोबार करना आसान हुआ, सब्सिडी बोझ कम हुआ। भारत फ्रांस को पीछे छोड़ छठी बड़ी अर्थव्यवस्था बनी, जीडीपी दर 7 फीसदी के पार पहुंची। हाल में आॅटो सेक्टर में छंटनी को अर्थव्यवस्था में सुस्ती के तौर पर प्रचारित करना विपक्ष का केवल दुश्प्रचार है। बरसात के सीजन में हर साल ऑटो सेल में गिरावट आती है। यह आर्थिक सुस्ती की निषानी नहीं है। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कॉरपोरेट को आईना दिखाया है कि मुनाफा उनका और नुकसान दूसरों का वाली प्रवृति ठीक नहीं है।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह बढ़ाने के लिए पांच लाख करोड़ देने, जीएसटी को और आसान बनाने, बैंकों के लिए 70 हजार करोड़ रूप्ये जारी करने,शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन सरचार्ज वापस लेने, टैक्स के नाम पर किसी को परेषान नहीं करने, आयकर भरने के लिए फेसलेस स्क्रटनी सेवा शुरू कर करने जैसे अनेक कदम उठाने की घोशणा की है। इससे देष की अर्थव्यवस्था को और गति मिलेगी। देष में आर्थिक सुस्ती की बात विपक्ष का सुनियोजित दुश्प्रचार है।








Popular posts