कुलभूषण केस में पाकिस्तान की आर्मी कोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई हैं. वियना संधि का उल्लंघन करते हुए उन्हें न सिर्फ कानूनी मदद से दूर रखा गया, बल्कि मां और पत्नी तक से सीधे मिलने नहीं दिया गया. आज अंतरराष्ट्रीय अदालत अपना फैसला सुनाने वाला है.
पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव पर आज (बुधवार) अंतरराष्ट्रीय अदालत (ICJ) का फैसला आने वाला है. नीदरलैंड्स के द हेग के पीस पैलेस में 'प्रेजिडेंट ऑफ द कोर्ट' जस्टिस अब्दुलकावी अहमद यूसुफ भारतीय समयानुसार करीब शाम 6:30 बजे फैसला सुनाएंगे. पाक की सैन्य अदालत ने जाधव को जबरन अपराध कबूल करवाकर मौत की सजा सुनाई थी, जिसे भारत ने आईसीजे में चुनौती दी है. आज आने वाले इस फैसले पर भारत और पाकिस्तान की निगाहें हैं. अंतरराष्ट्रीय अदालत आज जो भी फैसला देगा, वो पाकिस्तान की जेल में पिछले तीन साल से बंद कुलभूषण जाधव की जिंदगी का निर्णायक मोड़ साबित होगा.
अगर कोर्ट का निर्णय भारत के पक्ष में आया, तो निश्चित तौर पर यह एक बड़ी जीत होगी. लेकिन एक बात तो साफ है कि आईसीजे के फैसले से भले ही कुलभूषण जाधव की जान बच जाए, लेकिन उन्हें पाकिस्तान से आज़ाद कराना इतना आसान नहीं है.
कुलभूषण केस में पाकिस्तान की आर्मी कोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई हैं. वियना संधि का उल्लंघन करते हुए उन्हें न सिर्फ कानूनी मदद से दूर रखा गया, बल्कि मां और पत्नी तक से सीधे मिलने नहीं दिया गया. दो साल और दो महीने तक आईसीजे की 15 सदस्यीय पीठ में सुनवाई के दौरान भारत ने पाक का पूरा कच्चा चिट्ठा दुनिया के सामने रखा.
भारत ने ICJ से की है ये दो अपील
पाकिस्तान का दावा है कि कुलभूषण जाधव को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने 3 मार्च 2016 को जासूसी और आतंकवाद के आरोप में बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया था. इसके बाद जाधव को मौत की सजा सुनाई गई थी. 25 मार्च 2016 को भारत को जाधव की हिरासत की जानकारी मिली. इस मामले में भारत ने साल 2017 में आईसीजे का रुख किया था. भारत ने आईसीजे के सामने दो अपील रखी हैं. पहला, कुलभूषण जाधव की मौत की सज़ा को सस्पेंड किया जाए, क्योंकि पाकिस्तान ने इस केस में वियना संधि का उल्लंघन किया है. दूसरा, पाकिस्तान के मिलिट्री कोर्ट के फैसले को तुरंत प्रभाव से खारिज किया जाए, क्योंकि न्यायशास्त्र के अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत ऐसी अदालतों का कोई कानूनी आधार नहीं होता.
फंस रहा है ये पेंच
भारत की दूसरी अपील में ही पेंच फंस रहा है. दरअसल, पाकिस्तान ने कुलभूषण पर जो आरोप लगाए हैं, आईसीजे उसके कानूनी पहलू से खुद को दूर रखना चाहेगा. सदस्य देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता अंतरराष्ट्रीय अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर की है. अगर आईसीजे इसके कानूनी पहलू के अंदर जाता है, तो बड़ा विवाद खड़ा हो जाएगा.
तो भारत को क्या करना चाहिए?
इस केस में भारत के पास उम्मीद और इंतजार के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. भारत ज्यादा से ज्यादा ये उम्मीद कर सकता है कि आईसीजे मानवीय आधार पर कुलभूषण जाधव की मौत की सज़ा को किसी दूसरी सज़ा में बदल दे. साथ ही ये सुनिश्चित करे कि पाक की सरजमीं पर भी जाधव को जिंदा रखा जाएगा. लेकिन, इसकी बहुत कम संभावना है कि कुलभूषण जाधव पाकिस्तान के जेल से छूटे और भारत को उसकी कस्टडी मिले.
वैसे भारत ने अपनी अपील में ये दलील भी दी है कि कैसे जाधव के केस में पाकिस्तान ने वियना संधि की धज्जियां उड़ाई. कैसे कम से कम 100 बार गुजारिश के बाद भी जाधव को काउंसलर एक्सेस नहीं दिया गया. यहां तक की कुलभूषण से मिलने गए उनकी मां और पत्नी के साथ भी बदसलूकी की गई. बता दें कि वियना संधि के तहत युद्ध बंदी या दूसरे देश के नागरिक को काउंसलर एक्सेस पाने का अधिकार है.
भारत के पास हैं क्या ऑप्शन?
वैसे इन सब दिक्कतों के बाद भी अगर भारत कुलभूषण जाधव की जिंदगी बचाने में सफल होता है, तो ये एक बड़ी उपलब्धि होगी. बेशक जाधव भारत न लौट पाए, लेकिन कम से कम वह वहां अन्य भारतीय बंदियों के साथ जिंदा तो रहेंगे.
सरबजीत से मिलती जुलती है जाधव की कहानी
बता दें कि इसके पहले जाधव से मिलता जुलता मामला सरबजीत सिंह का भी था. पाकिस्तान ने पंजाब के किसान सरबजीत को आतंकवाद के झूठे आरोपों में जेल में बंद किया था. वह अनजाने में 30 अगस्त 1990 को पाकिस्तान की सीमा पार कर गए थे. पाकिस्तानी की एक स्थानीय अदालत द्वारा साल 1991 में उन्हें फैसलाबाद और लाहौर में बम हमलों के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी. इस सजा को सुप्रीम कोर्ट समेत ऊपरी अदालतों में बरकरार रखा गया था. भारत ने बहुत कोशिश की, लेकिन पाकिस्तान ने सरबजीत के प्रति कोई रियायत नहीं बरती. 2 मई 2013 को पाकिस्तान की ओर से यह कहा गया कि साथी कैदियों के हमले में सरबजीत गंभीर रूप से घायल हो गया था और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई है. उम्मीद है कि कुलभूषण जाधव के केस में इतिहास नहीं दोहराया जाएगा.