र्बइमानी करने वाले अब सरकार की नजरों से दूर नहीं - डॉ. संदीप कटारिया

क्राइफ रिफॉर्मर एसोसिएशन के राष्ट्रीय  अध्यक्ष डा. संदीप कटारिया ने बताया कि  केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार -2 ने भ्रश्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम को तेज कर दिया है। कंद्रीय जांच एजेंची सीबीआई द्वारा देषभर में 110 स्थानों पर छापेमारी के बाद उत्तर प्रदेष के बुलंदषहर में डीएम आईएएस अभय सिंह के घर को खंगाला गया। डीएम साहब घर मिली नकदी को देखकर जांच अधिकारी भी हैरान रह गए। नोट गिनने के लिए मषीन मंगवानी पडी। एजेंसी ने 47 लाख रूपये जब्त किए। लगातार दो दिनों से चल रही इस छापेमारी को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। कि मोदी सरकार किसी भी सूरत में भ्रश्टाचार की कमर तोड़ने की तैयारी में है। मोदी सरकार-1 को भ्रश्टाचार के खिलाफ अभियान में खासी कामयाबी मिली थी। सरकार ने 70000 करोड़ रूपये से अधिक का काला धन जब्त किया था। इसके अलावा कर चोरी कर, विदेषी खातोंं में जमा किए गए काले धन को वापस लाने के लिए सरकार ने स्विट्जरलैंड, सिंगापुर, मॉरीषिस और पनामा जैसे टैक्स हेवन देषों के साथ संधि की। आधार और पैन के साथ बैंक खातों को जोड़ने की योजना शुरू की गई। इससे फर्जी या बेनामी खातों को पकड़ने में आयकर विभाग को बड़ी सफलता मिली। बेमानी लेनदेन संषोधन अधिनियम 2016 को लागू किया गया। इसके तहत कई बेनामी संम्पत्तियों का पता लगाने में कामयाबी मिली। सरकार ने शेल कंपनियों के खिलाफ कड़ी कारवाई करते हुए दो लाख से अधिक कंपनिकयांे के पंजीकण को रद कर दिया। इसके अलावा रसोई गैस, राषन वितरण प्रणाली और सब्सिडी को आधार कार्ड से जोड़कर काला बाजारी पर नकेल कसी गई। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि इन प्रयासों से सरकार को प्रतिवर्श 90 हजार करोड रूप्ये की बचत हुई। इस धनराषि  को देष के विकास पर खर्च किया गया। अब मोदी 2.0 ने भ्रश्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज कर दिया है। सरकार गठन के चंद दिनों बाद ही 43 अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति से साफ हो गया कि लालफीताषाही और भ्रश्टाचार किसी भी सूरत में सहन नहीं होगा। इससे नौकरषाही में दो टूक पैगाम गया और केंद्र सरकार के दफ्तरों में कर्मचारियों के कामकाज में अधिक अनुषासन देखने को मिलने लगा है, यह आम अनुभव है डीएम जैसे उच्च अधिकारियों पर छापे पड़ने से साफ है, कि सरकार भ्रश्टाचार के मामले में किसी को भी रियासत देने को तैयार नहीं है। कौन नहीं जानता कि देष में भ्रश्टाचार की जड़े बहुत गहरी हैं। यूपीए-2 के दौरान हुए एक के बाद एक घोटालों ने भ्रश्टाचार की जड़ों की ओर भी गहरा करने का काम किया। यहां तक कि वे लोग भी बेईमानी के दलदल में फंसे नजर आए जिन पर भ्रश्टाचार रोकने का दारोमदार था। चैतरफा चल रहे कमीषन के खेल के कारण आम आदमी का लोकतंत्र से भी भरोसा उठने लगा था। प्रधानमंत्री बनने के बाद जब नरेंद्र मोदी ने 'न खाऊंगा, न खाने दूंगा का संकल्प जताया तो उससे देष में भरोसे का माहौल बना। अच्छी बात है कि उस भरोसे को बरकरार रखने की दिषा में मोदी सरकार ने कई कड़े उठाए। सबसे पहले उन्होंने राजनीतिक भ्रश्टाचार पर लगाम कसने का काम किया। यही कारण रहा कि उनकी पांच साल की सरकार में रतीभर घालमेल भी सामने नहीं आया। देष के पास राश्ट्रीय संसाधनों का अंबार है, लेकिन भ्रश्टाचार के कारण इन संसाधनों का लाभ आम आदमी तक नहीं पहुंच पा रहा। अगर देष को विकसित राश्ट्रों की श्रेणी में खड़ा करना है तो भ्रश्टाचार पर नकेल कसनी बहुत जरूरी है। अगर बेईमानी, कमीषनखोरी खत्म होती हैं तो कोई ताकत हमें विष्वषक्ति बनने से नहीं रोक सकती। अब नरेंद्र मोदी 2.0 सरकार इसी मूल मंत्र पर आगे बढ़ रही है। राश्ट्रीय संसाधनों के आवंटन में कमीषनखोरी पर नकेल कसी गई है। नौकरषाही से भ्रश्टाचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। अगर सरकार अपने इस अभियान में कामयाब होती है तो देष के करोड़ों लोगों की जिंदगी बेहतर बनाई जा सकेगी, जिसे नरेंद्र मोदी ने अपना लक्ष्य बताया था।