आर्टिकल 370: सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को लगाई फटकार, कहा- ऐसी याचिका क्यों दाखिल करते हैं

 


जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में आर्टिकल-370 (Article -370) हटाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने संबंधित वकीलों से कहा कि वे अपनी छह याचिकाओं की खामियों को दूर करें और इसके साथ ही उसने सुनवाई स्थगित कर दी.






 

जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) से आर्टिकल-370 (Article -370) के ज्यादातर प्रावधानों को हटाए जाने के मोदी सरकार (Modi Government) के कदम को   चुनौती देने के लिए 'दोषपूर्ण' याचिकाएं दायर करने पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नाराजगी जताई. प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे़ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच ने कहा कि अनुच्छेद 370 को लेकर वकील मनोहर लाल शर्मा की याचिका का कोई मतलब ही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने शर्मा से सवाल किया, 'यह किस तरह की याचिका है? इसे तो खारिज किया जा सकता था, लेकिन रजिस्ट्री में पांच अन्य याचिकायें भी हैं.'

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दो याचिकाओं पर सुनवाई की गई. पहली याचिका में अनुच्छेद 370 हटाए जाने का विरोध किया गया तो वहीं दूसरी याचिका में कश्मीर में पत्रकारों से सरकार का नियंत्रण हटाने की मांग की गई. पहली याचिका एमएल शर्मा ने डाली थी. इस याचिका में कहा गया था कि सरकार ने आर्टिकल 370 हटाकर मनमानी की है.

सीजेआई गोगोई की अध्यक्षता वाली इस बेंच ने कहा, 'आपने राष्ट्रपति का आदेश निरस्त करने का अनुरोध नहीं किया है. यह भी स्पष्ट नहीं है कि इसमें क्या अनुरोध किया गया है. इस तकनीकी आधार पर ही खारिज किया जा सकता था, लेकिन इस समय रजिस्ट्री में पांच अन्य याचिकायें भी हैं, जिनमें खामियां हैं.'

आधे घंटे पढ़ी याचिका पर समझ नहीं पाए CJI

 


शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने अनुच्छेद 370 पर दाखिल इस याचिका को पढ़ने में 30 मिनट लगाए लेकिन कुछ समझ नहीं सके. शीर्ष अदालत ने संबंधित वकीलों से कहा कि वे अनुच्छेद 370 को लेकर दायर अपनी छह याचिकाओं की खामियों को दूर करें और इसके साथ ही उसने सुनवाई स्थगित कर दी.

बेंच ने इस तथ्य का भी जिक्र किया कि वह अयोध्या जैसे संवेदनशील मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीशों की पीठ को तोड़ कर अनुच्छेद 370 को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

वहीं दूसरी याचिका कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन ने दायर की थी. इस याचिका में कहा गया था कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से पत्रकारों पर लगाया जाने वाला नियंत्रण पूरी तरह से खत्म किया जाना चाहिए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पाबंदियां हटाने के लिए कोई निर्देश देने से पहले वह कुछ और इंतजार करेगा.

इससे पहले केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि यह पाबंदियां धीरे धीरे हटायी जा रही हैं. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि प्रदेश में सभी न्यूज पेपर रिलीज हो रहे हैं. हम रोज ही कुछ न कुछ पाबंदियां घटा रहे हैं.

बेंच ने इस पर कहा, 'हम कुछ समय देना चाहते हैं. हमने आज ही अखबारों में पढ़ा है कि धीरे-धीरे लैंडलाइन और ब्रॉडबैंड कनेक्शन बहाल किए जा रहे हैं. इसलिए, हम अन्य संबद्ध मामलों के साथ ही इस याचिका पर सुनवाई करेंगे. हमें जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने भी फोन किया था.'

पीठ ने कहा, 'हम देखते हैं कि इस मामले को सुनवाई के लिये कब सूचीबद्ध किया जा सकता है. हम प्रशासनिक पक्ष में इसकी तारीख निर्धारित करेंगे.'

जम्मू-कश्मीर में क्या हुआ?
बता दें कि केंद्र सरकार ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को निष्प्रभावी कर दिया. इसके साथ ही राज्य के पुनर्गठन का रास्ता साफ हो गया. गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक भी पेश कर दिया, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. विधेयक राज्यसभा से पास हो गया है. इसके पक्ष में 125 और विरोध में 61 वोट पड़े. आज लोकसभा में इस बिल पर चर्चा और वोटिंग होनी है.