भारत में ई-सिगरेट पर पाबंदी - डा. संदीप कटारिया








Crime Reformer Association के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. संदीप कटारिया ने बताया कि केंद्र सरकार ने ई-सिगरेट को पूरी तरह से बैन कर दिया है। मोदी कैबिनेट ने आज कई-कई अहम फैसले लिए। केंद्र सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाष जावडेकर ने कहा कि इस बार रेलवे के 11 लाख 52 हजार कर्मचारियों को 78 दिन का बोनस दिया जाएगा। इस पर रेलवे को 2024 करोड़ करोड़ रूपए का खर्च आएगा। इसके साथ ही मोदी सरकार ने ई-सिगरेट और ई-हुक्का पर बैन लगा दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ओर सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाष जावडेकर ने बताया कि ई-सिगरेट के उत्पादन, निर्यात, आयात, बिक्री, परिवहन, भंडारण और विज्ञापन पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने के लिए अध्यादेष लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि संसद के अगले सत्र में इस संबंध में विधेयक पेश किया जाएगा।


डा. कटारिया ने बताया कि देश में ई-सिगरेट का विनिर्माण नहीं होता है और यहां बिकने वाली सभी ई-सिगरेट आयात की जाती है। इस समय देष में 150 से ज्यादा 'फ्लेवर' में 400 से ज्यादा ब्रांड के ई-सिगरेट बिक रहे हैं। ये गंधरहित होते हैं और इसलिए 'पैसिव स्मोकर' को पता भी नहीं चलता और उसके शरीर में भी भारी मात्रा में निकोटीन पहुंता रहता हैं। हेल्थ मिनिस्ट्री ने पहली बार नियमों के उल्लंघन पर एक साल की जेल और 1 लाख रूपये का जुर्माना का प्रस्ताव दिया है। वहीं एक से अधिक बार नियम तोड़ने पर मिनिस्ट्री ने 5 लाख जुर्माना और 3 साल तक जेल की सिफारिष की है।


ई-सिगरेट, हीट-नॉट-बर्न स्मोकिंग डिवाइसेस, वेप एंड ई-निकोटिन फ्लेवर्ड हुक्का जैसे वैकल्पिक धुम्र्रपान उपकरणों पर प्रतिबंध लगाना अपने दूसरे कार्यालय में मोदी सरकार के पहले 100 दिनों के एजेंडे की प्राथमिकताओं में था। अगर सरकार एक अध्यादेष लाती है, तो उसे संसद के अगले सत्र में एक विधेयक के साथ प्रतिस्थापित करना होगा। एक बार जब संसद बिल को मंजूरी दे देती है, तो ऐसे उत्पादों पर प्रस्तावित प्रतिबंध को कानूनी समर्थन मिल जाएगां


ई-सिगरेट एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक इन्हेलर होता है, जिसमें निकोटीन और अन्य रसायनमुक्त तरल भरा जाता है। ये इन्हेलर बैट्री की ऊर्जा से इस लिक्विड को भाप  में बदल देता है, जिससे पीने वाले को सिगरेट पीने जैसा एहसास होता है। ईएनडीएस ऐसे उपकरणों को कहा जाता है, जिनके प्रयोग किसी घोल का गर्म कर एरोसोल बनाने के लिए किया जाता है, जिसमें विभिन्न स्वाद भी होते हैं लेकिन ई-सिगरेट में जिस लिक्विड का इस्तेमाल किया जाता है, वह कई बार  निकोटिन होता है और कई बार उससे भी ज्यादा खतरनाक रसायन होता हैं। इसके अलावा कुछ ब्रांड्स ई-सिगरेट में फॉर्मलडिहाइड का इस्तेमाल करते हैं, जो बेहद खतरनाक और कैंसरकारी तत्व हैं।