चांद के और करीब पहुंचा चंद्रयान-2, ऑर्बिटर से अलग हुआ लैंडर ‘विक्रम’

इसरो (ISRO) ने चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) ऑर्बिटर से 'विक्रम' लैंडर को अलग करने की प्रक्रिया पूरी की गई. लैंडर 'विक्रम' (Lander Vikram) सात सितंबर को तड़के डेढ़ बजे से ढाई बजे के बीच चंद्रमा की सतह पर पहुंचेगा.




भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) को चंद्रमा (Moon)  की कक्षा में पहले ही सफलतापूर्वक प्रवेश करा चुका है. इसके बाद इसरो ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से लैंडर 'विक्रम' को अलग करने की प्रक्रिया की, जिसके बाद वह चांद के और करीब पहुंच गया. यह प्रक्रिया  दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से एक बजकर 45 मिनट के बीच की गई.

ISRO की ओर से जानकारी दी गई 1.15 बजे विक्रम अलग हुआ. लैंडर 'विक्रम' (Lander Vikram) सात सितंबर को तड़के डेढ़ बजे से ढाई बजे के बीच चंद्रमा की सतह पर पहुंचेगा. देश के दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की कक्षा में 20 अगस्त को प्रवेश किया था.

इसरो की ओर से जारी एक बयान के अनुसार 'विक्रम लैंडर को आज (2 सितंबर, 2019) दोपहर 1:15 बजे चंद्रयान 2 ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग कर दिया. विक्रम लैंडर वर्तमान में 119 किमी x 127 किमी की कक्षा में स्थित है. चंद्रयान 2 ऑर्बिटर अपनी मौजूदा कक्षा में चंद्रमा की परिक्रमा करता रहेगा.'

7 तारीख को लैंडिंग

 


दो सितंबर को लैंडर 'विक्रम' ऑर्बिटर से अलग होने के बाद यह सात सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में 'सॉफ्ट लैंडिंग' करेगा. ऐसा करके भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा. भारत से पहले रूस, अमेरिका और चीन चांद पर पहुंच चुके हैं लेकिन वे चंद्रमा दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में नहीं पहुंच पाए थे. लैंडर के चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद इसके भीतर से 'प्रज्ञान' नाम का रोवर (Pragyan Rover) बाहर निकलेगा और अपने 6 पहियों पर चलकर चांद की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करेगा.

अभी तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में नहीं पहुंचा है कोई देश
'चंद्रयान-2' मिशन की सफलता भारत के लिए गौरवशाली क्षण होगा क्योंकि चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में अभी तक कोई देश नहीं पहुंचा है. 'चंद्रयान-2' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा, जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है. इससे चांद के अनसुलझे रहस्य जानने में मदद मिलेगी. यह ऐसी नई खोज होगी, जिसका भारत और पूरी मानवता को लाभ मिलेगा. बीते 15 जुलाई को रॉकेट में तकनीकी खामी का पता चलने के बाद 'चंद्रयान-2' का प्रक्षेपण टाल दिया गया था. समय रहते खामी का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक समुदाय ने इसरो की सराहना की थी.

अगली कक्षीय प्रक्रिया बुधवार दोपहर को पूरी होगी
इसरो ने बताया था कि 7 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' कराने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले लैंडर संबंधी दो कक्षीय प्रक्रियाओं को पूरा किया जाएगा. बेंगलूरु स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) के एंटीने की मदद से बेंगलूरू स्थित 'इसरो, टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क' (आईएसटीआरएसी) के मिशन ऑपरेशन्स कांप्लेक्स (एमओएक्स) से यान की गतिशीलता पर लगातार नजर रखी जा रही है. इसरो ने कहा कि अगली कक्षीय प्रक्रिया बुधवार को दोपहर 12.30 बजे से डेढ़ बजे के बीच पूरी कराई जाएगी.

अंतरिक्ष यान (Space Craft) की सभी क्रियाएं सामान्य
इसरो (ISRO) ने रविवार (1 सितंबर) को बताया था कि उसने चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) को चंद्रमा (Moon) की पांचवीं एवं अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश करा दिया है और वह दो सितंबर को लैंडर विक्रम (Lander Vikram) को ऑर्बिटर (Orbiter) से अलग करने की तैयारी कर रहा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद कहा कि अंतरिक्ष यान (Space Craft) की सभी क्रियाएं सामान्य रूप से चल रही हैं.

चंद्रमा की पांचवीं कक्षा में प्रवेश कराने की प्रक्रिया में लगा 52 सेकेंड का समय
इसरो ने बताया है कि, 'प्रणोदन प्रणाली (Propulsion System) का प्रयोग करते हुए चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की अंतिम एवं पांचवीं कक्षा में 1 सितंबर, 2019 को सफलतापूर्वक प्रवेश कराने का कार्य योजना के मुताबिक 6 बजकर 21 मिनट पर शुरू किया गया था. चंद्रमा की पांचवीं कक्षा में प्रवेश कराने की प्रक्रिया में 52 सेकेंड का समय लगा.

चांद पर सॉफ्ट लैंडिग है चंद्रयान-2 का सबसे जटिल चरण
इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' चंद्र मिशन-2 का सबसे जटिल चरण है. अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि चंद्र मिशन-2 के यान की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है.