क्राइम रिफॉर्मरएसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डां संदीप कटारिया ने बताया कि सरकार ने इकोनॉमी को कैश-लेस बनाने के इरादे से नोटबंदी की थी। लेकिन इसके बाद नकदी का चलन घटने के बजाय काफी बढ़ गया है। इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि इस साल मार्च के अंत में चलन में बैंक नोटों का मूल्य बढ़कर 21 लाख करोड़ रूपये को पार कर गया है, जो नोटबंदी के ठीक बाद मार्च 2017 में 13 लाख करोड़ रूपये से कुछ ही ज्यादा था। इस तरह, महज दो वर्शों में चलन में आए बैंक नोटों का मूल्य 61 प्रतिशत बढ़ गया है।
खास बात यह है कि 500 रूपये के नोट का चलन बढ रहा है जबकि 2000 रूपये के नोट कि इस्तेमाल में कमी आ रही है। हाल यह है कि रिजर्व बैंक ने 2000 रूपये के नए नोट की छपाई में भी भारी कटौती कर दी है। करेंसी नोट का जल्द खराब होने से रोकने के लिए रिजर्व बैंक परीक्षण के तौर पर इस साल से 100 रूपये के वार्निष्ड बैंक नोट “ाुरू करने जा रहा है।
रिजर्व बैंक ने अपनी वार्शिक रिपोर्ट 2018-19 जारी की, जिसमें चलन में करेंसी नोट का ब्योरा दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2018 के अंत में चलन में बैंक नोटों का कुल मूल्य 18.03 लाख करोड़ रूपये था जो 17.0 परसेंट बढ़कर मार्च, 2019 के अंत में 21.1 लाख करोड़ रूपये हो गया है। गौरतलब है कि मोदी सरकार ने आठ नवंबर 2016 को नोटबंदी का फैसला करते हुए 500 रूपये और 1000 रूपये के पुराने नोटों को बंद करने और 500 रूपये तथा दो हजार रूपये के नए नोट जारी करने का फैसला किया था। सरकार ने यह फैसला अर्थव्यवस्था को लेस-कैश बनाने यानी रोजमर्रा की जरूरतों में नोटों का चलन कम करने के इरादे से किया था। नोटबंदी के तत्काल बाद इसमें कमी भी आई और चलन में बैंक नोट का मूल्य घटकर मार्च 2017 के अंत में 13.1 लाख करोड़ रूपये रह गया, लेकिन उसके बाद इसमें तेजी से वृद्धि हुई है।
आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2019 के अंत में चलन में बैंक नोटों का जो मूल्य है उसमें 2000 रूपये के नोट ही हिस्सेदारी घटकर 31.1 परसेंट रह गई है, जबकि मार्च 2018 के अंत में यह 37.3 परसेंट और मार्च 2017 के अंत में 50.2 परसेंट थी। वर्श 2016-17 में रिजर्व बैंक ने 2000 रूपये के 350 करोड़ नए नोट छपवाए थे। जबकि वित्तीय वर्ष 2017-18 में यह आंकड़ा घटकर 15.1 करोड़ और 2018-19 में मात्र 4.7 करोड़ रह गया है। हालांकि 500 रूपये के नये नोट की छपाई बढ़ाई गई है। वर्श 2016-17 में रिजर्व बैंक ने 500 रूपये के 726 करोड़ नए नोट छपवाए थे, जबकि 2017-18 में यह आंकड़ा बढ़कर 969 करोड़ और 2018-19 में 1146 करोड़ पहुंच गया।
आरबीआई की रिपोर्ट से पता चलता है कि बैंकिग तंत्र में पकड़े गए 500 और 2000 रूपये के नकली नोटों की संख्या में भी भारी वृद्धि हुई है। वर्श 2018-19 में 500 रूपये के 21865 नकली नोट पकड़े गए, जबकि 2017-18 में यह संख्या 9892 थी। 2000 रूपये के नकली नोट की संख्या भी लगभग 22 प्रतिशत बढी है।