कश्मीर से आने वाले फ़लों के बढ़ सकते हैं दाम


  ट्रकों की आवाजाही घटीः फ्रेट रेट 30% तक बढ़ा; महंगे हो सकते हैं सेब, आलूबुखारा और नाशपाती। आवक में देरी होने से महंगाई 10 % तक बढ़ सकती है।



  • दिल्ली की थोक मंडी में सेब अभी लगभग 50 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रहा है

  • आलूबुखारा की कीमत 35 रुपये प्रति किलोग्राम और नाशपाती 50 रुपये किलो

  • कश्मीर से सेबों का सीजन अभी शुरू हुआ है और आवक 60 पर्सेंट तक घट गई है

  • जम्मू-कश्मीर में बारामुला, शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग जिलों में सबसे अधिक सेब उत्पादन प्रशांत करार/माधवी सैली, चंडीगढ़/नई दिल्ली


जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35। हटने का असर भले ही समय बीतने के साथ दिखेगा, लेकिन अभी कश्मीर से आने वाले फलों को बाजार में खोजना मुश्किल हो गया है और इनकी कीमतें भी बढ़ सकती हैं। कश्मीर में अभी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के कारण सेब, आलूबुखारा और नाशपाती के ट्रांसपोर्ट पर असर पड़ा है। राज्य में बहुत कम ट्रक चल रहे हैं और फ्रेट रेट 30 पर्सेंट तक बढ़ गया है। इससे फलों की कीमतों में भी वृद्धि होने की आशंका है।


दिल्ली की थोक मंडी में सेब अभी लगभग 50 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रहा है, लेकिन इसकी कीमत वेराइटी के अनुसार काफी अलग होती है। ट्रेडर्स का कहना है कि पिछले एक सप्ताह में दाम स्थिर रहा है, लेकिन आवक में देरी होने से यह 10 पर्सेंट तक बढ़ सकता है।


आलूबुखारा और नाशपाती की कीमतें 10-12 पर्सेंट तक बढ़ सकती हैं। अभी आलूबुखारा की कीमत 35 रुपये प्रति किलोग्राम और नाशपाती की करीब 50 रुपये प्रति किलोग्राम है। भारत ने अमेरिका से आने वाले सेब पर टैरिफ बढ़ाया है। इससे देश में सेब के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। अमेरिका के सेब पर डड्ढूटी 20 पर्सेंट बढ़ाकर 70 पर्सेंट की गई है।


जम्मू और कश्मीर में बागवानी, विशेषतौर पर सेब के बाग आमदनी का एक बड़ा जरिया हैं। राज्य में सेब के उत्पादन और बिक्री से करीब 35 लाख लोगों के जुड़े होने का अनुमान है। ट्रेडर्स ने बताया कि हाल के दिनों में कश्मीर से फलों के बहुत कम ट्रक बाहर गए हैं। यह चिंता का एक बड़ा कारण है क्योंकि अभी फल तोड़ने का सीजन चल रहा है। अगर फलों से लदे ट्रक रास्ते में फंसे रहते हैं तो उत्पादकों और व्यापारियों को बड़ा नुकसान हो सकता है।


दिल्ली में फलों के एक व्यापारी ने बताया कि अगर ट्रक कुछ दिनों तक सड़क पर फंसा रहता है तो सेब खराब हो सकता है। आजादपुर मंडी में चमन फ्रूट सेंटर के चमन लाल ढींगरा ने कहा कि 'हम जम्मू और कश्मीर में उत्पादकों से संपर्क नहीं कर सकते क्योंकि फोन कनेक्टिविटी नहीं है। कश्मीर से सेबों का सीजन अभी शुरू हुआ है और आवक 60 पर्सेंट तक घट गई है।'


जम्मू और कश्मीर में बारामूला, शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग जिलों में सेब का अधिक उत्पादन होता है। 2016 में देश में 20-8 लाख टन सेब का उत्पादन हुआ था और दुनिया में भारत इसका पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक रहा था। व्यापारियों का कहना है कि कश्मीर में शांति और बेहतर प्रशासन से फलों का उत्पादन बढ़ सकता है।


आजादपुर चैंबर ऑफ फ्रूट्स ऐंड वेजिटेबल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मेहता राम कृपलानी ने बताया, 'दिल्ली में पिछले दिनों कुछ ट्रक आए हैं जिन्हें कश्मीर में लोड किया गया था। हमें उम्मीद है कि स्थिति सामान्य हो जाएगी और व्यापार को नुकसान नहीं होगा।'