पटरी पर लौट आया घाटी का जन-जीवन - डॉ. संदीप कटारिया

 


क्राइम रिफॉर्मर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संदीप कटारिया ने बताया कि पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35ए हटाए और राज्य को दो हिस्सों में बांटे जाने के 109 दिनों बाद अगर हम हालात का आकलन करें तो निचोड़ यही निकलता है कि घाटी धीरे-धीरे एक बार फिर धरती  की जम्मत बन रही है। सबसे सुखद है कि इस कार्यकाल में एक भी व्यक्ति की मौत पुलिस फायरिंग में नहीं हुई है, पत्थरबाजी लगभग खत्म हो गई है। दुकानें पूरा दिन खुल रही है और जम्मू-कष्मीर राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें घाटी की सड़कों पर दौड़ रही है। यहां तक कि ट्रेन सेवाएं पूरी तरह से 17 नवंबर के बाद से ही ट्रायल रन किए जा रहे थे, जिनके सफल होने के बाद ट्रेनें चलाई गईं। श्रीनगर के अंदर कैब सेवाएं भी शुरू हो गई हैं। 10 अक्टूबर से ही यातायात के प्रतिबंध हटा लिए गए थे। पर्यटकों को तो पहले से ही घाटी में घूमने की इजाजत दे दी गई थी। इससे पहले 28 अगस्त को सभी उच्च माध्यमिक स्कूल भी खोल दिए गए थे, बच्चे स्कूलों में पहुंचने शुरू हो गए थे। जैसे-जैसे घाटी में हालात सामान्य की ओर बढ़ रहे हैं, उन लोगों के माथे पर बल पड़ रहा है जो धारा 370 हटाने पर खून की नदियां बहाने की आषंका जता रहे थे। भरे सदन में ऐसा कहने वाले कांग्रेस नेता व जम्मू-कष्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को फिर राज्यसभा में कष्मीर में हालात खराब होने की बात कही तो गृहमंत्री अमित शाह ने उन्हें आंकड़ों समेत करारा जवाब दिया। यह बात सही है कि धारा 370 हटाए जाने और पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म किए जाने के बाद कुछ दिनों तक कष्मीर में कुछ प्रतिबंध भी हटते चले गए। अब घाटी के सभी 20411 स्कूल खुले हैं और सुचारू रूप से परीक्षा चल रही है। 11वीं के 99.48 प्रतिषत विद्यार्थियों ने परीक्षा दी है। 10वीं और 12वीं के भी 99.7 प्रतिषत विद्यार्थियों ने परीक्षा दी है। कष्मीर में हालात पूरी तरह से सामान्य हैं। इसका सबसे बड़ा प्रमाण है कि राज्य में पेट्रोल और डीजल की खपत में 16 प्रतिषत तक की बढ़ गई है। इसका मतलब साफ है कि लोग पूरी आजादी से आवाजाही कर रहे हैं। हालांकि आतंकियों ने छह प्रवासी मजदूरों की हत्या करके दहषत फैलाने का प्रयास किया था, लेकिन इसका सेब उत्पादकों और विक्रताओं पर कोई असर नहीं पड़ा। कष्मीर का सेब सामान्य वर्शों की तरह इस बार भी पूरे देष में बिका। कष्मीर के हालात सामान्य होने को एक और प्रमाण यह है कि श्रीनगर शहर के अस्पतालों के सरकारी अस्पतालों में सितंबर महीने में 60 लाख 67 हजार और अक्टूबर महीने में 60 लाख 91 हजार मरीजों का इलाज हुआ। यह सही है कि घाटी में लैंडलाइन फोन चल रहे हैं। अभी इंटरनेट सुविधा शुरू नहीं की गई है, लेकिन इसका संबंध धारा 370 हटाए जाने से नहीं है। पाक सीमा पार से होने वाली आतंकी घटनाओं और सुरक्षा कारणों से इंटरनेट पर पाबंदी लगाई गई है। सुरक्षा की कुछ चिंताएं हैं, यह सुवधिा बहाल नहीं की जा रही। वैसे भी हमें याद रखना होगा कि देष में मोबाइल फोन 1995-96 में आया था, लेकिन कष्मीर में इसकी शुरूआत 2003 में ही हो सकी थीं। उस समय तो धारा 370 नहीं हटाई गई थी। ऐसा केवल सुरक्षा कारणों के चलते किया गया था। अगर अब इंटरनेट बंद रखा जा रहा है तो इतना होहल्ला क्यों। असल परेषानी यह है कि कांग्रेस समेत उसके सहयोगी राजनीतिक दलों को कष्मीर की आड़ में अपने वोट बैंक की चिंता सता रही है। 370 हटाए पर देष के हर नागरिक की तरह घाटी का आम जनमानस भी सरकार के साथ खड़ा हो गया है, यह उनके लिए परेषानी का कारण है। इस परेषानी में वे ऐसी बयानबाजी करते रहते हैं जो पड़ोसी पाकिस्तान के लिए सहायक सिद्ध होती है। देष पर सर्वाधित करने वाली पार्टी नेताओं को सोचना चाहिए कि उन्हें देष से प्रेम है या वोट से।