क्राइम रिफॉर्मर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संदीप कटारिया ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के दुश्प्रचार की एक बार फिर पोल खुल गई है। पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर में अलगाव व दहषत का पर्याय बनी धारा 370 और 35ए को हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान विश्व बिरादरी में तरह-तरह के भ्रम फैलाता रहा है, लेकिन अब यूरोपीय संघ के सांसदों ने उसकी पोल खोल दी है। जम्मू-कश्मीर दौरे पर गए इन विदेषी सांसदों ने घाटी में आतंकियों को भेजने और उन्हें समर्थन देने को लेकर पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई। साथ ही आर्टिकल 370 को भारत का आंतरिक मामला बताते हुए घाटी में दहषतगर्दों को फिडिंग देने पर पाकिस्तान को जमकर कोसा। जम्मू-कश्मीर के दौरे पर गए 23 यूरोपीय सांसदों ने आतंकवाद के मसले पर एक सुर में कहा कि आतंकवाद वैष्विक समस्या है। जम्मू-कश्मीर में भी आतंकवाद सबसे बड़ी समस्या है और इसके खिलाफ जंग में हम भारत के साथ हैं। इन सांसदों ने माना कि अनुच्छेद 370 भारत का आंतरिक मामला और यह दौरा आंखें खोलने वाला रहा है। अंतरराश्ट्रीय मीडिया ने जो दिखाया वह पक्षपातपूर्ण है। हमने जो देखा है, अपने देष लौटकर हम उसकी जानकारी देंगे कि जम्मू-कश्मीर में ऐसा कुछ नहीं है जैसा कि मीडिरूा में बताया जा रहा है। धारा 370 हटाए जाने के बाद यह कोई पहला मौका नहीं है। जब पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी हों। पाकिस्तान ने जेनेवा में संयुक्त राश्ट्र मानवाधिकार परिशद में भी कश्मीर का राग अलापा, लेकिन किसी ने भी उसे गंभीरता से नहीं लिया। इसके पहले संयुक्त राश्ट्र सुरक्षा परिशद में भी मुंह की खानी पड़ी थी। अमेरिका के भी भारत-पाक के बीच मध्यस्थता से इनकार करने के बाद मुस्लिम देषों ने भी कश्मीरमामले पर पाक का साथ देने से न केवल दो टूक इनकार कर दिया बल्कि पाक प्रधानमंत्री इमरान खान का नसीहत भी दे डाली कि वे भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में अपषब्दों का प्रयोग न करें। चीन ने चाहे अंदरखाते पाकिस्तान का समर्थन किया, लेकिन भारत दौरे पर आए चीनी राश्ट्रपति शी जिनपिंग ने महाबलीपुरम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान कश्मीर पर चर्चा तक नहीं की। इतना सब होने के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। यहां तक कि जब 23 विदेषी सांसद कश्मीर का दौरा कर रहे थे, तब भी पाक प्रयोजित आतंकियों ने छह मजदूरों की हत्या कर दी। यूरोपीय सांसदों ने भी इस कायरतापूर्ण हरकत के लिए पाक को चेताया है कि वो भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने का प्रयास ने करें, लेकिन लगता नहीं कि पाक पर इसका कोई असर होने वाला है। उसका कश्मीर पर ढोंग खत्म होने वाला नहीं है। जबकि सच तो यह है कि पाकिस्तान प्राकृतिक संसाधनों का लगातार दोहन कर रहा है। पाकिस्तान ने आर्थिक गलियारे के लिए इलाकों का बड़ा हिस्सा चीन को दे दिया है। इसका विरोध करने पर वहां के स्थानीय लोगों का दमन किया जा रहा है। ऐसे में कश्मीर के लोगों के लिए उसका चिंतित होना महज एक ढोंग है। बलूच, पख्तून और मुहाजिर समुदायों के साथ पाकिस्तान का सौतेला व्यवहार जगजाहिर है। जहां बुनियादी अधिकारों को दषकों से कुचला जा रहा है और उनके नेताओं को प्रताड़ित किया जा रहा है। केवल इतना ही नहीं आतंकी और चरमपंथी ताकतों को पनाह देने के कारण पाकिस्तान विश्वभर में बदनाम हो चुका है। इसी कारण पाक को अंतरराश्ट्रीय आतंकी विŸापोशण की निगरानी संस्था एफएटीएफ द्वारा ग्रे लिस्ट में डाला जा चुका है, लेकिन इतना सब होने के बाद भी उसके व्यवहार में कोई बदलाव आता नजर नहीं आ रहा । इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि आर्थिक रूप में दीवालिया होने की कगार के खड़े पाक के राजनेता और सेना समस्याओं से जनता का ध्यान हटाने के लिए बार-बार कश्मीर का राग अलापते है।