कांग्रेस को भरोसा करने की जरूरत - डॉ. संदीप कटारिया

क्राइम रिफॉर्मर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संदीप कटारिया ने बताया कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को क्या हो गया है और वह किधर जा रही है, यह वो प्रष्न है, जिसका जवाब शायद कांग्रेसी नेताओं के पास भी नहीं है। आपने वामपंथी सहयोगियों के मोहपॉष में फंसी पार्टी यह भी नहीं समझ पा रही है कि राश्ट्रहित और जनहित क्या हैं, पार्टी को सरकार के किस फैसले का समर्थन और किसका विरोध करना चाहिए। वरिश्ठ नेता सलमान खुर्षीद के इस बयान से शायद ही कोई असहमत हो कि कठिन दौर से गुजर रही कांग्रेस अपना भविश्य तय नहीं कर पा रही है। देश के मतदाताओं द्वारा लगातार दो लोकसभा चुनाव में नेता प्रतिपक्ष के लिए भी जरूरी संख्या बल न देने के बाद होना यह चाहिए था कि पार्टी इस पर गंभीर चिंतन-मनन करती, लेकिन हो रहा है इसके बिल्कुल उलटा। कांग्रेस सरकार के हर उस फैसले के विरोध में खड़ी हो जाती है, जो न केवल देशहित में लिए जा रहे हैं बल्कि देशवासी भी इन फैसलों पर नरेंद्र मोदी सरकार की वाहवाही कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के शोशण का पर्याय बने तीन तलाक को खत्म करने का फैसला लिया तो कांग्रेस ने विरोध करते हुए आसमान सिर पर उठा लिया। तर्क यह दिया गया कि यह मुस्लिम समाज के अंदरूनी मामलों में दखल है। जबकि इस फैसले के बाद मुस्लिम महिलाओं ने मिठाइयां बांटकर उल्लास का इजहार किया। इस निर्णय ने न केवल उन्हें सषक्त बनाया बल्कि सदियों से शोशण का आधार बनी पुरूश मानसिकता से लड़ने का हौसला दिया। कांग्रेस जिसकी आड़ लेकर विरोध कर रही थी, उसी मुस्लिम समाज की महिलाओं ने उससे किनारा कर लिया। ऐसा ही जम्मू-कष्मीर से धारा 370 और 35ए हटाने के समय हुआ। 5 अगस्त को जब अमित शाह ने सदन में यह प्रस्ताव रखा तो वरिश्ठ कांग्रेसी नेता और जम्मू-कष्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने देश में खून की नदियां बह जाने की धमकी दे डाली। लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चैधरी ने तो कष्मीर को अंतरराश्ट्रीय मुद्दा बताकर कांग्रेस के मानसिक दीवालापन का ही सबूत दिया। कांग्रेस के साथ उसके सभी सहयोगी दल भी इस फैसले को देश विरोधी ठहराने में जुट गए, जबकि देशवासियों ने एक देश में दो विधान बनाने वाली इस धारा को खत्म करने पर न जमकर खुषी मनाई, बल्कि मिठाइयां बांटकर एक-दूसरे को बधाइयां दी। धारा 370 हटने पर देश के आम आदमी में ठीक वैसा ही माहौल था जैसा आजादी के समय दिखाई दिया था। यहां तक कि कांग्रेस के ही अनेक नेता 370 हटने के फैसले पर मोदी सरकार के समर्थन में खड़े दिखाई दिए, लेकिन वामपंथ के मोहपॉष में फंसी कांग्रेस विरोध का राग अलापती रही। कष्मीर में लेकर तरह-तरह के भ्रम फैलाने के प्रयास किए गए, देश के दो टुकड़े हो जाएंगे, कष्मीर के लोग इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे आदि। हुआ क्या, अलगाव की जनक बनी 370 हटते ही कश्मीर में अमन का माहौल बनता दिख रहा है। आतंकी वारदातें न के बराबर हो गई हैं, पत्थरबाजी लगभग खत्म हो गई है, कानून व्यवस्था फिर पटरी पर लौट आई है। कई उद्योगपति वहां उद्योग लगाने की संभावनाएं तलाष रहे हैं। जिससे न केवल घाटी में बेरोजगारी का संकट हल होगा बल्कि विकास की नई धारा बहेगी। इतना सब होने के बाद भी कांग्रेस आज भी अपने विरोध पर ही कायम है। ऐसा ही अब नागरिकता संषोधन बिल को लेकर हो रहा है। कांग्रेसी न केवल बिल का विरोध कर रहे हैं बल्कि तरह-तरह के भ्रम फैलाकर देश का शांतिपूर्वक माहौल खराब करने की कोषिषों में जुटे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ठीक ही कहा कि अगर हिम्मत है तो वे खुलकर घोशणा करें कि वे पाकिस्तान के हर नागरिक को भारत की नागरिकता देने के लिए तैयार हैं। कांग्रेस में हिम्मत है तो घोशणा करें कि धारा 370 को फिर से लागू करेगी और तीन तलाक के खिलाफ कानून को रद करेगी, लेकिन कांग्रेसी ऐसा न करके केवल भ्रम फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। अपने एक बयान में कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि पार्टी को आत्ममंथन करने की जरूरत है। आखिर कांग्रेस जान-बूझकर आत्ममंथन से बच क्यों रही है? वो ऐसा न करके केवल अपना ही नहीं लोकतंत्र का भी अहित करने में लगी हुई है।